हमारे देश में कृषि क्षेत्र में कई क्रांतियां हुई है।पर उसमें सबसे प्रमुख हरित क्रांति को माना जाता है। हरित क्रांति हमारे कृषि क्षेत्र के लिए एक महत्वपूर्ण क्रांति है। जिसका मुख्य उद्देश्य किसानों की फसल की, पैदावार को बढ़ावा देना है। किसानों की आर्थिक स्थिति सुधारना तथा आधुनिक तकनीकों के माध्यम से फसल को दोगुना करना। उसे हम हरित क्रांति कह सकते हैं।
हरित क्रांति पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essay on Green Revolution in Green Revolution par Nibandh Hindi mein)
भारत में एक १९६० के शतक के बीच हरित क्रांति शुरू हुई थी। जिससे उत्पादन में बहुत वृद्धि हुई थी। हरित क्रांति का संबंध आधुनिक प्रयोग से ,कृषि उत्पादन विशेष को अधिक रूप से फायदा होता है। खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि करने के लिए होता है।हमारे समाज के किसानों को हरित क्रांति का सूत्र पत्र बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि जनसंख्या के लिए खाद्यान्न की आवश्यकता होती है। इस क्रांति के फल स्वरुप हमारे देश में गेहूं, चावल, ज्वार,आदि खाद्यान्नों का उत्पादन तीन गुना से भी अधिक होता है।
हरित क्रांति से देश में खाद्यान्नों की कमी का संकट दूर हो गया है। तथा देश आत्मनिर्भरता से अपना खुशहाल जीवन बिता रहा है। हरित क्रांति का संबंध कृषि से है। कृषि में उन्नत भी रासायनिक उर्वरक की कीटक नाशक दवाई आदि का प्रयोग एवं सिचन सिंचाई का उत्तम व्यवस्था में खाद्यान्नों के उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है। कृषि के क्षेत्र में खाद्यान्नों के इसी रूढ़ि होती है। इस क्रांति से गेहूं के उत्पादन में बहुत क्रांति हुई है। हरित क्रांति के सकारात्मक प्रभाव हुए हैं। सरकार ने खाद्य सुरक्षा के लिए करने के लिए हरित क्रांति जैसी एक नई नित्यी लाकर अपनी हरित क्रांति में सिंचाई जैसी सुविधा मौजूद की गई।
हरित क्रांति को हमारे देश में एम एस स्वामीनाथन ने ही लाने का पहला प्रयत्न किया हैं।उसे आगे तक बढ़ाया। हमारे किसानों की स्थिति सुधारने में ज्यादा तौर पर हरित क्रांति को प्रमुख माना गया है। हरित क्रांति की वजह से किसानों को बहुत फायदा होता है। मध्यम वर्गीय किसानों का तो जैसे मानो उद्धार हुआ है। हमारा देश हरित क्रांति के पहले ,बाहर देशों से खाद्य आयात करते थे। अब वह आयात बंद हो गया है। हमारे खाद्य उत्पादन में की सुरक्षा को ज्यादा बल मिला हैं। हरित क्रांति का सर्वाधिक प्रभाव हमारे पंजाब और हरियाणा इन राज्यों में हुआ है। आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में चावल की खेती ज्यादा होने लगी ।
हरित क्रांति हमारे लिए जितनी फायदेमंद है। उतने ही वह नकारात्मक भी है। हरित क्रांति से धन किसानों और बड़े स्वामियों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। इस क्रांति का सबसे बड़ा परिणाम तो यह हुआ कि गरीब किसानों और भू स्वामियों के बीच की दूरियां ज्यादा बढ़ती गई। इस समाज के विभिन्न वर्गों में और अलग-अलग इलाकों के बीच यह विकार तेज हुआ। इसका प्रभाव सिर्फ गेहूं जैसे फसल पर ही हुआ है, बाकी फसल पर तो कोई ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा,वह उपस्थिति में रह गई हैं। हमें हरित क्रांति में खुश होकर उससे होने वाले नुकसान पर भी ज्यादा ध्यान देना हो चाहिए।