Chhattisgarh State Class 6 Hindi Chapter 5 बरखा आथे Solution
Chhattisgarh State Board Class 6 Hindi Chapter 5 बरखा आथे Exercise Multiple Choice, Fill in the Blanks, Questions and Answers here.
बरखा आथे
1.) बरखा आये के का कारण हवय ?
बारिश आने से खेतों में फैसले अच्छे उगती है। बरखा से पहले गर्मी होती है और गर्मी से सारी जमीन तपती हुई होती है इसे शांत करने के लिए बर खाती है।
2 बरखा आये से जिनगी म का परभाव होथे ?
बरखा के आने से जिंदगी में सुख समृद्धि आती हैं। जिंदगी संपन्न हो जाती हैं।
3.) सपना है सिरतोन कइसे बनाये ?
हर किसान का सपना होता है की हर वर्ष खेतों में अच्छी फसल आए। सभी को भरपूर अनाज मिले। यह हर किसान का सपना होता हैं।
4.) बरखा है कोन कोन रूप में बाजत हवय ?
बरखा की सारंगी मतलब जो बूंदे गिरती है उनकी आवाज झीमिर झीमीर ऐसे आती हैं और जो बादलों की गड़गड़ाहट होती है उसकी आवाज नगाड़े जैसी होती हैं।
5.) कवि ह बादल ल हरकारा कस काबर कहे हवय ?
कवि ने बादल को संदेशवाहक की उपमा दी है। क्योंकी जब बारिश होने वाली होती है, तब काले बादल जाकर किसान को संदेश देते हैं।
6.) अंधियारी में बरत जोगनी ल कवि ह का जिनिस कहे हवय
अंधेरे में जो जुगनू हिल रही है। उसे कवि ने मन की आशा कहा है।
7.) लइका मन का कारण से कपसत हवय ?
बच्चे मेंढक कि आवाज से डर कर कांप रही है।
8.) कवि बरखा ले कतका पानी माँगत है ?
फसल को उगाने के लिए जितना पानी लगता है उतना पानी कभी बरखा से मांगते हैं।
9.) खाल्हे लिखाय कविता मन के अर्थ लिखव
(क) जिनगी ल ओसार बनाय बर भुइयाँ में बरखा आथे।
बार खाने से पहले गर्मी के दिन होते हैं उन दिनों में धरती तपती है। इस धरती को शांत करने के लिए बरखा आती है। बार खाने से सबके जीवन में खुशियां ली छा जाती है।
(ख) जतका पानी पनिहारिन ल तरिया तीर पिवास माँगथे।
प्यासे पनिहारिन को उतना पानी चाहिए जितने पानी से तलाक कुएं नदिया यह सब भर सके।
(ग) आसा मन के बिजली बन के चमचम करथे अँधियारी म।
बिजली चमकने से कभी कोई ऐसा लगता है कि अंधियारी जीवन में किसी ने आशा की ज्योत जगाई है।
पाठ से आगे
1.) बरखा आये के पहिली अऊ बाद में कोन कोन से रितु होथे ? तीनों रितु कोन-कौन से अंतर देखे बर मिलथे ? कक्षा में बात करके लिखव।
बारिश से पहले गर्मी के दिन होते हैं। गर्मी में सारी जगह हो तप जाती है। भूमि, पेड़, पौधे यह सुख जाते हैं। तालाब, नदियों में पानी की मात्रा कम हो जाती है। लेकिन जब बारिश आती है तब सारी जगह खुशी छा जाती है। जमीन पेड़ पौधों को आनंद आ जाता है। तालाब नादिया पानी से भर जाते हैं किस झूमने लगते हैं।
2.) किसान मन बरखा आये के पहिली किसानी करे वर कोन किसम से तयारी करवें ? ओकर ले खेती बारी मा का लाभ होथे ?
बर खाने से पहले किसान अपने खेत में जाता है। वहां की साफ सफाई करता है। बीज बोता है। यह सब तैयारी किसान को बारिश होने से पहले करनी पड़ती है। जब बारिश आती है फसलें उगती है। फसलों को बहुत सारा पानी मिल जाता है और यही फसलें सभी को अन्न देती है।
3.) बरखा रितु आये से हमर घर के चारों कोती बदलाव होथे जेमा झंझटहा अऊ सुघ्घर दुनो लागथे। अपन अनुभव ल लिखव।
बारिश आने से सभी जगह हरियाली आ जाती है। सभी जगह हरी-भरी दिखने लगती है। फसलों को पानी मिल जाता है। सभी लोग खुशी से झूमने लगते हैं। पेड़ पौधों को भी आनंद आता है।
4.) कवि ह देश के गाँव वर कावर पानी मागत है अऊ ओकर से गाँव म काका परभाव होही ?
किसान का विकास तभी होता है जब उसके पशुओं को पानी मिल जाता है। यह पानी बरखा के माध्यम से ही मिलता है। बारिश के दिनों में जो बीज बोए जाते हैं उन्हें बहुत मात्रा में पानी लगता है और यह पानी बरखा के माध्यम से मिलता है। जब बारिश अच्छी होती है तो किसान की फसलें अच्छी आ जाती है और इसी से ही किसान का विकास होता है।
भाषा
1.) ओहर नदिया के तीर बैठे रहिस।
इहाँ तीर के मायने पास हवे तीर के उल्टा शब्द दुरिहा हये। अइसने किसम से खाल्हे लिखाय सब्द मन के अर्थ समझके हिंदी में उल्टा सब्द लिखव ।
बिस्वास- अविश्वास
खुस- दुख
ओसार- भरी हुई
बनिहार- मालिक, सरकार
सिरतोन- लबाडी, धोखेबाजी
बिसाबों- बेचना
2.) “चम चम करथे अंधियारी में कविता के पंक्ति में चम चम सब्द ह सेंघरा दू बेर आये हवय।
जब कोनो सब्द एक संघरा दू बेर आथे त ओला पुनरुक्ति सब्द कहे जाये चम चम सब्द जइसन
संघरा सब्द ल पाठ से छाट के लिखव।
झीमिर- झीमिर
घड़ – घड़
दुरिहा – दुरिहा
कारिया -कारिया
जुग- जुग
कपस – कपस
गांव- गांव
3.) पाठ में पानी सब्द आये हवय जेकर मायने जल होथे अऊ नीर घलो कहिये।
भाषा में जेन सब्द मन के मायने समान होथे वोला पर्यायवाची सब्द कहे जाथे। अइसने परकार के सब्द मन के अर्थ समान होथे।
जैसे- पानी जल, नीर
अइसने परकार से खाली लिखाय सब्द मन के हिन्दी म अर्थ लिखके पर्यायवाची सब्द लिखव।
सोन- कनक, कांचन
बरखा- बारिश
बिजली- विज, दामिनी
फूल- सुमन
लक्ष्मी-रमा
भुइयां – धरती