Telangana SCERT Solution Class IX (9) Hindi Chapter रीढ़ की हड्डी
रीढ़ की हड्डी
प्रश्न
1.) रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात बात पर ‘एक हमारा जमाना था…..’ कह कर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहां तक तर्कसंगत है
जमाना हर वक्त बदलता रहता है। जैसे जमाना बदलता है वैसे वैसे स्थितियां भी बदलती है। उन स्थितियों के स्वरूप हमें उसमें ढलना पड़ता है। रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद यह दो बुजुर्ग थे। यह हर वक्त अपने जमाने की तुलना ही इस जमाने से करते हैं। बुजुर्ग है इसलिए उनकी भी कुछ यादें होंगी यह समझता है। लेकिन तुलना करके हमारा जमाना कैसा था, कितना अच्छा था यह हर वक्त बताना गलत है। जैसे हर जमाने की खामियां होती है वैसी खूबियां भी होती है। अपने जमाने की बातें बताना यह खुश होने के लिए आनंदित होने के लिए ठीक है। लेकिन अगर आप तुलना करते हैं तो इसका महत्व नहीं रहता।
2.) रामस्वरूप का अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना यह विरोधाभास उनकी किस व्यवस्था को उजागर करता है?
रामस्वरूप के लड़की न b.a. पास थी। उसे संगीत, कला में भी रुचि थी। रामस्वरूप भी लड़कियों को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए ऐसी सोच के है। उन्हें अपनी लड़की के बारे में लगता है, कि उसे अच्छा घर परिवार मिले, शादी उसके अच्छे घराने हो। एक परिवार मिला लेकिन उनकी सोच बहुत पुरानी थी। वह चाहते थे कि लड़की सिर्फ दसवीं तक पढ़ी लिखी हो। लड़की के पिता है इसीलिए उन्हें लड़कों की इच्छा को मान देना चाहिए। यह समझ में आता है लेकिन उन्होंने जो किया उसमें और वह जो कर रहे हैं उसमें विरोधाभास नजर आता है। विवाह योग्य पुत्री के पिता की विवशता क्या होती है। यह इसमें नजर आता है।
3.) अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप को मां से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं वह उचित क्यों नहीं है?
अपने बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप दिखावा करना चाहते हैंl अपने बेटी को सही ढंग से रहने से कहते हैंl उसे पाउडर लगाए, सज धज कर रहे ताकि घर में आए हुए मेहमानों को वह पसंद आ जाए। ऐसी उनकी इच्छा है। वह लड़कों की इच्छा का मान रखना चाहते हैं और अपने बेटी से कहते हैं कि उन्हें बताएं कि वह मैट्रिक पास है। लेकिन यह गलत बात है। वह b.a. पास है और रामस्वरूप कहना चाहते हैं कि वह मैट्रिक पास है। ऐसे रिश्ते ज्यादा नहीं टिकते। जिन रिश्तो की बुनियाद झूठ होती है वह रिश्तोंको आगे जाकर कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है।
4.) गोपाल प्रसाद विवाह को बिजनेस मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छुपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी है? अपने विचार लिखिए।
गोपाल प्रसाद वकील है और उनका बेटा शंकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। रामस्वरूप को लगता है कि अपनी बेटी का विवाह शंकर से हो जाए। लेकिन शंकर और गोपाल को दसवीं पास ही लड़की चाहिए। वकील होने के बावजूद गोपाल पैसों को बहुत ज्यादा महत्व देते हैं। उन्हें भी वह भी एक बिजनेस की तरह ही लगता है और रामस्वरूप अपनी लड़की का विवाह शंकर से करना चाहते हैं इसीलिए बहुत झूठ बोलते हैं कि मेरी लड़की मेट्रिक पास है। यह दोनों ही बातें गलत है म। दोनों ही अपराधी है गोपाल की सोच रूढ़िवादी है। लेकिन रामप्रसाद अपने बेटे की खातिर विवश हो गए हैं।
5.) शंकर जैसी लड़की या उमा जैसी लड़की समाज को इनमें से कैसे व्यक्तित्व की जरूरत है? कारण बताइए।
यह कहानी नवयुवकों की है। आज भी हमारे समाज में ऐसे लोग हैं जो वैचारिक रूप से प्रगत नहीं हुए हैं। उन्हें आज भी लगता है कि महिलाओं को शिक्षण देना गलत बात है। उन्हें घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। पुरुषों के समान अधिकार उन्हें नहीं मिलने चाहिए। उनका स्थान समाज में हो या घर में दुय्यम ही रहना चाहिए। लेकिन उमा जैसी लड़कियों को लगता है कि उन्हें शिक्षा प्राप्त कर लेनी चाहिए। अपने अधिकारों के प्रति हम सबको जागरूक रहना चाहिए। समाज को सही दिशा दिखानी चाहिए। विचारों में प्रगति होनी चाहिए। इसीलिए हमें उमा जैसे व्यक्तित्व की जरूरत है।
6.) ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
रीढ़ की हड्डी इस नाटक में यह समस्या दिखाई गई है, कि जो वर है, उसमें वैचारिक क्षमता, निर्णय क्षमता ही नहीं है। शंकर जो कि अभी मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। वह अपने पिता के रौब के आगे कुछ नहीं कर सकता। उनकी गलत बातों को नहीं रोक सकता। मतलब वह कायर है, वह डर जाता है। इससे विपरीत वह वयस्कर लोगों के बीच में बैठता है और उनकी जो बातें हैं उन्हें प्रोत्साहन देता है। उनकी हां में हां मिलाता है। उसके पिता गोपाल खुद एक वकील होने के बावजूद उन्हें कम पढ़ी हुई लड़की बहू के रूप में चाहिए। लेकिन शंकर भी इसी बात को प्रोत्साहन देता है यह गलत बात है। इसीलिए रीड की हड्डी यह शीर्षक इस कहानी को न्याय देता है।
7.) इस एकांकी का क्या उद्देश्य है लिखिए।
इस एकांकी में लोगों की दोहरी मानसिकता दिखाई गई है। आज भी लड़कियों को हमारे समाज में दुय्म दर्जा दिया जाता है। वह पढ़े-लिखे आगे बढ़े ऐसे हमारे समाज को नहीं लगता। अगर कोई लड़की बहुत ज्यादा पढ़ी लिखी हो, तो उसके विवाह में समस्या पैदा होती है। शंकर, गोपाल प्रसाद जैसे व्यक्तित्व के मनुष्य आज भी चाहते हैं कि लड़की कम पढ़ी लिखी हो।स्त्रीयों को दुय्यम दर्जा मिले। स्त्रीको घर में ही रहना चाहिए। उसे बाहर निकल कर काम नहीं करना चाहिए।