मित्रों को महाकुम्भ मेले का वर्णन करते हुए पत्र | Letter to friends describing Maha Kumbh Mela
123, मीरा नगर,
सेलू।
दिनांक :- 16 मई, 2022
प्रिय मित्र राकेश,
कैसे हो?
आशा करता हूं तुम खुशहाल होंगे मैं भी यहां पर आनंद में हूं। तुम्हारा पत्र मिला मुझे बहुत खुशी हुई कि तुम अभी काशी विश्वनाथ के दर्शन करके आए हो। कितनी ताज्जुब की बात है ना तुम काशी विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए चले गए और मैं कल ही महाकुंभ के मेले से लौटा हूं। मैं तुम्हें महाकुंभ में क्या हुआ वह सारी बातें पत्र के माध्यम से लिख रहा हूं।
तुम्हें पता है महाकुम्भ के मेले में बहुत भक्त आते हैं। वह भक्त सिर्फ महाकुम्भ में स्नान और दर्शन के लिए आते हैं। महाकुम्भ में स्नान करना कितना पवित्र माना गया है और इसका विशेष महत्व भी है। इस महाकुम्भ के आयोजन पर रेल मंत्री ने अधिक ज्यादा मात्रा में रेल का प्रबंध किया था। क्योंकि उनके भक्तों को कोई भी कठिनाई ना हो। वहां पर रहने के लिए धर्मशाला थे। तुम्हें क्या बताऊं धर्मशाला में इतनी भीड़ थी लेकिन हमें थोड़ी सी जगह मिल गई। वहां पर स्नान करने से पुण्य मिलता है। स्नान करने की भी अच्छी व्यवस्था थी। पुरुषों और महिलाओं की अलग-अलग व्यवस्था की थी।
महाकुम्भ में तो जाना चाहिए। वह का दृश्य बहुत अच्छा होता है। वहां सारे भजन कीर्तन का आनंद लेते हैं। हमने दो बार स्नान किया। महाकुम्भ का मेला तो हमारा सभ्यता का प्रतीक है। हम वहां पर तीन दिन रहे और चौथे दिन चले आए वापस। हमें वहां पर बहुत मजा आया तुम अगली बार जरूर जाना महाकुम्भ के मेले में।
तुम्हारा प्रिय मित्र,
रमेश, मीरा नगर,
सेलू।
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