Haryana Board Class 8 History Chapter 4 छत्रपति शिवाजी एवं पेशवा Solution

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Haryana State Board Class 8 History Chapter 4 छत्रपति शिवाजी एवं पेशवा Solution:

अध्याय 4 छत्रपति शिवाजी एवं पेशवा।

प्रश्न 1  रिक्त स्थान भरे।

1.) ‘राइज ऑफ मराठा पॉवर’ पुस्तक ………….लिखी।

उत्तर महादेव गोविंद रानडे।

 

2.) ‘पुरंदर की संधि’ के समय विदेशी इतिहासकार ………….उपस्थित था ।

उत्तर   फ्रांस्वा बर्नियर

 

3.) शिवाजी की माता का नाम……..था ।

उत्तर जीजाबाई।

 

4.) ……………को मराठा मैग्नाकार्टा कहा जाता है।

उत्तर मराठा मुगल संधि।

 

5.) राज्याभिषेक के अवसर पर शिवाजी ने ………..उपाधि धारण की।

उत्तर छत्रपति।

 

 प्रश्न 2 उचित मिलान करें।

1.शिवाजी का राज्याभिषेक       क) विदेश मंत्री

2.बाजीराव प्रथम                     ख ) सदाशिव राव भाऊ

3.पानीपत का तीसरा युद्ध         ग) शाहजी भोंसले

4.सुमंत                                   घ) महान मराठा योद्धा

5.शिवाजी का पिता                  च)6 जून 1674

उत्तर: 1. च   2. घ    3. ख     4.  क   5.  ग

 

प्रश्न 3 आइए विचार करें।

1.) छत्रपति शिवाजी महाराज का जीवन परिचय बताएं।

उत्तर: छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी 1630 में हुआ था। पुणे में स्थित प्रसिद्ध शिवनेरी किले पर जिजाबाइने शिवाजी महाराज को जन्म दिया। इस किले पर अधिष्ठान देवी पर इनका नाम शिवा रखा गया।  पिता शाह जी राव भोसले एक मराठा सरदार थे । अहमदनगर के निजाम शाह के एक प्रतिष्ठित पद पर थे। माता जीजाबाई के मार्गदर्शन में शिवाजी का बचपन बीता। जीजाबाई शिवाजी को रामायण महाभारत एवं भारतीय वीर आत्माओं की कहानियां सुनाती थी जिस वजह से उनके जीवन पर इन लोगों का और उनकी माता का गहरा प्रभाव पड़ा। जीजा माता ने उन्हें धर्म संस्कृति एवं राजनीतिक शिक्षा प्रदान कि। दादा कोंड देव उन्हें घुड़सवारी तलवारबाजी निशानेबाजी यह सिखाते थे। बचपन में शिवाजी बालकों को इकट्ठा करके उनके राजा बन विद्या कर के किले जितने का खेल खेला करते थे। उम्र के बढ़ने के साथ-साथ मुगलों के अत्याचारों से वह बेचैन हो जाते थे और मुगल शासन की बेड़ियां तोड़ने के लिए  उनके मन में अनेक विचार आते थे। किशोरावस्था में अपने मामलों के साथ उन्होंने। राज्य स्थापना की। कसम ली। और अपना विजय अभियान आरंभ किया। उन्होंने जीवन भर संघर्ष किया और 3 अप्रैल 1680 में  लंबी  बीमारी के तहत उनका मृत्यु हो गया।

 

2.) हिंदू स्वराज की स्थापना हेतु शिवाजी महाराज के संघर्ष का वर्णन करें।

उत्तर: किशोरावस्था में अपने दोस्तों को साथ लेकर उन्होंने स्वराज्य की कसम ली और अपना विजय अभियान शुरू किया। उन्होंने किल्लो पर कब्जा करने के लिए सभी जाति के लोगों को संगठित किया । युवको के सहयोग से उन्होंने आसपास के सभी किलो पर अपना अधिकार कर लिया। शिवाजी महाराज की विस्तार नीति से बीजापुर का शासक  चिंतित था। इसीलिए उसने शिवाजी के पिता शिवाजीराव को कैद कर लिया। लेकिन शिवाजी ने अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग कर अपने पिता को बचा लिया। उन्होंने पश्चिम भारत के बड़े क्षेत्र पर अपना प्रभाव स्थापित किया और अपनी उन्होंने एक बहुत बड़ी सेना का निर्माण किया। क्षेत्र विस्तार के बाद उन्होंने अपना राज्य अभिषेक 6 जून 1674 को हिंदू रीति-रिवाजों से किया। राज्य अभिषेक में उन्होंने छत्रपति की उपाधि धारण की और इस प्रकार उन्होंने हिंदू स्वराज्य की स्थापना की।

 

3.) पेशवा बाजीराव प्रथम के संघर्ष और योगदान का वर्णन करें।

उत्तर: पेशवा बाजीराव अपने पिता बाजीराव विश्वनाथ की मृत्यु के पश्चात अपनी बुद्धि और बलवान शरीर की वजह से पेशवा बना। पेशवा बाजीराव तीव्र बुद्धि और बलवान शरीर के साथ-साथ राजनीति और शासन कार्य में दक्ष था । शिवाजी के बाद गोरिल्ला युद्ध में सबसे बड़ा प्रतिपादक बाजीराव प्रथम था । बाजीराव प्रथम को लड़ाकू पेशवा के रूप में समृद्ध किया जाता है। बाजीराव ने सेना को संगठित कर बहुत से प्रदेशों को चौथ और सरदेशमुखी के अधिकार को सर्वमान्य कर दिया। 1707 में बुंदेलखंड को विजय किया और दिल्ली के लिए कुच किया।  ढक्कन के युद्ध में मुगल सम्राट के निजाम उल मुल्क ने सहायता की परंतु उसने उसका पराजय हुआ और उसने औपचारिक रूप से मालवा और गुजरात मराठा को देना पड़ा। निजाम उल मुल्क मुगल सम्राट की सहायता के लिए आगे बढ़ा इसीलिए उसे बाजीराव को ₹50 लाख भी देने पड़े। इसके बाद मराठों ने पोर्तुगालियो से बसीन का द्वीप भी छीन लिया। इसी प्रकार बाजीराव ने मराठा साम्राज्य कि शक्ति की नीव रखकर 1740 में चल बसा  ।

 

4.) मराठों के प्रशासन की प्रमुख विशेषताएं कौन-कौन सी थी?

उत्तर:  मराठा साम्राज्य में न्याय प्राचीन परंपराओं के अनुसार किया जाता था  न्याय का सर्वोच्च मुख्य छत्रपति और पेशवा होता था। गाव मे पटेल, जिले में मामलतदार, सूबे  में सर सूबेदार न्याय का कार्य करते थे । गांव के झगड़े का फैसला पंचायत करते थे। शिवाजी के न्याय धर्म सभा को हुजूर हाजिर मजलिस कहा जाता था।

मराठों की एक शक्तिशाली सेना होती थी जिसे वेतन सीधे शाही खजाने से ही दिया जाता था। संपूर्ण सेना सरे नौबत नामक अधिकारी के  अधीन आती थी। घुड़सवार को बारगीर, शिलेदार, पागा आदि प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया था। सेना को नियमित हथियारों से सुसज्जित किया  जाता था। मराठा राज्य की आय का प्रमुख साधन कृषि कर तथा अन्य प्रचलित करते हैं। सरदेशमुखी के रूप में किसानों से उत्पादन का दसवां भाग  होता था और साधन चौक नामक कर था जो पड़ोसी राज्य से उनकी आय का एक चौथा भाग के रूप में वसूल किया जाता था।

पेशवा राज्य का प्रधानमंत्री होता था। राजा की अनुपस्थिति में राज्य की देखभाल पेशवा ही करता था। छत्रपति की मुहर आने के बाद सरकारी पत्रों पर पेशवा ही दस्तखत करता था।

प्रशासन में सहायता में परामर्श के लिए 8 मंत्री परिषद तो नियुक्त की गई थी जिसे अष्टप्रधान कहा जाता था। यह परिषद केवल परामर्श देने का कार्य करती थी परंतु परामर्श स्वीकार करना छत्रपति का अंतिम निर्णय होता था। मराठा प्रशासन में स्वयं राजा केंद्रबिंदु होता था और वह महाराजा प्रमुख रूप से छत्रपति की उपाधि धारण करता था।

 

5.) मराठों की भू राजस्व व्यवस्था कैसी थी?

उत्तर:मराठा राज्य की आय के प्रमुख कृषि कर से और अन्य प्रचलित करो से होती थी। सरदेशमुखी कर किसानों से उनके उत्पादन का दसवां भाग कर के रूप में वसूल करते थे। अन्य एक कर साधन चौथ नाम से था मतलब  पड़ोसी राज्य से उसकी आय का 1/4 भाग कर  रूप मे वसूल किया जाता था।सरदेशमुखी और कृषि कर के अलावा गृह कर, सिंचित भूमि पर सीमा शुल्क आदि राज्य की आय के प्रमुख साधन थे।

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Updated: March 18, 2023 — 3:18 pm

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