Khaanpaan ki Badalti Tasveer Extra Questions and Answers Class 7 Hindi Vasant Chapter 14 Prepared by Hindi Expert Teacher.
Khaanpaan ki Badalti Tasveer Extra Questions and Answers Class 7 Hindi Vasant
Class |
7 |
Book Title |
Vasant |
Chapter |
14 |
Chapter Name |
Khaanpaan ki Badalti Tasveer |
Topic |
Extra Questions and Answers |
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खानपान की बदलती तस्वीर
अ.) दिया गया परिच्छेद पढ़े और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
‘टू मिनट्स नूडल्स’ के पैकेटबंद रूप से तो कम-से-कम बच्चे-बूढ़े सभी परिचित हो चुके हैं। इसी तरह नमकीन के कई स्थानीय प्रकार अभी तक भले मौजूद हों, लेकिन आलू चिप्स के कई विज्ञापित रूप तेजी से घर-घर में अपनी जगह बनाते जा रहे हैं।
गुजराती ढोकला-गाठिया भी अब देश के कई हिस्सों में स्वाद लेकर खाए जाते हैं और बंगाली मिठाइयों की केवल रसभरी चर्चा ही नहीं होती, वे कई शहरों में पहले की तुलना में अधिक उपलब्ध हैं। यानी स्थानीय व्यंजनों के साथ ही अब अन्य प्रदेशों के व्यंजन पकवान भी प्रायः हर क्षेत्र में मिलते हैं और मध्यमवर्गीय जीवन में ‘भोजन-विविधता अपनी जगह बना चुकी है।
1.) कौन से व्यंजन से घर के बच्चे बूढ़े भी परिचित है?
1.) खाखरा
2.) ढोकला
3.) टू मिनिट्स नूडल्स
4.) खीर
उत्तर – 3.) टू मिनिट्स नूडल्स
2.) किस चीज के विज्ञापन में तेजी से घर-घर में अपनी जगह बनाई है?
1.) मेथी
2.) पुरी
3.) जलेबी
4.) आलू चिप्स
उत्तर – आलू चिप्स
3.) गुजरात की कौन सी डिश देश के सभी हिस्सों में खाई जाती है?
1.) ढोकला गठिया
2.) दाल बाटी
3.) जीरा राइस
4.) पराठे
उत्तर – 1.) ढोकला गठिया
4.) किन मिठाइयों की चर्चा होती हैं?
1.) महाराष्ट्र
2.) बंगाल
3.) साउथ अफ्रीका
4.) गोवा
उत्तर – 2.) बंगाल
5.) स्थानीय पकवानों के साथ कौन से पकवान हर क्षेत्र में मिलते हैं?
1.) मध्यमवर्गीय पकवान
2.) घर के पकवान
3.) अन्य प्रदेशों के व्यंजन पकवान
4.) गली के पकवान
उत्तर – 3.) अन्य प्रदेशों के व्यंजन पकवान
6.) भोजन में विविधता इस बात में कहाँ-कहाँ पर अपनी जगह बनाई है?
1.) मध्यवर्गीय जीवन में
2.) सामाजिक जीवन में
3.) गलियों में
4.) स्थानीय क्षेत्र में
उत्तर – 1.) मध्यवर्गीय जीवन में
आ.) दिया गया परिच्छेद पढ़े और प्रश्नों के उत्तर लिखें।
आजादी के बाद उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण भी खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं। बड़े शहरों के मध्यमवर्गीय स्कूलों में जब दोपहर के ‘टिफ़िन’ के वक्त बच्चों के टिफ़िन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।
हम खानपान से भी एक-दूसरे को जानते हैं। इस दृष्टि से देखें तो खानपान की नयी संस्कृति में हमें राष्ट्रीय एकता के लिए नए बीज भी मिल सकते हैं। बीज भलीभाँति तभी अंकुरित होंगे जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान देंगे। मसलन हम उस बोली-बानी, भाषा-भूषा आदि को भी किसी-न-किसी रूप में ज्यादा जानेंगे, जो किसी खानपान-विशेष से जुड़ी हुई है।
1.) खानपान की चीजे एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में कब पहुंच गई ?
उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का जो एक नया विस्तार हुआ है, उसके कारण खानपान की चीजें किसी एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में पहुँची हैं।
2.) उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का विस्तार होना कब से शुरू हो गया?
उद्योग-धंधों, नौकरियों-तबादलों का विस्तार होना आजादी के बाद शुरू हुआ।
3.) किस जगह विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है?
सीटिफ़िन’ के वक्त बच्चों के टिफ़िन-डिब्बे खुलते हैं तो उनसे विभिन्न प्रदेशों के व्यंजनों की एक खुशबू उठती है।
4.) राष्ट्रीय एकता के बीज किस जगह पर मिलते हैं?
राष्ट्रीय एकता के बीज खानपान के नई संस्कृत में मिलते हैं।
5.) हमें जो एकता के बीज मिले हैं वह कब अंकुरित होंगे?
जब हम खानपान से जुड़ी हुई दूसरी चीजों की ओर भी ध्यान देंगे तब एकता के बीज जो हमे मिले हैं वह अंकुरित होंगे।
प्र.) 1 दिए गए प्रश्नों के तीन से चार वाक्य में उत्तर लिखो।
1.) खानपान की तस्वीर किस तरह से बदल रही है? अपने शब्दों में लिखो।
आजकल स्थानीय व्यंजन हम बहुत काम जानते हैं लेकिन जो फास्ट फूड है उसे सभी लोग जानते हैं। फास्ट फूड का चलन शहरों में बहुत बढ़ गया है। इसमें बर्गर नूडल्स ऐसी कई चीजे शामिल है। हमारे यहां के स्थानीय जो व्यंजन है उसे बनाने में फास्ट फूड से ज्यादा देर लगती है। लेकिन इस बात के हिसाब से देखा जाए तो फास्ट फूड में बहुत स्वाद होता है इस वजह से कई लोग फास्ट फूड की तरफ आकर्षित हो जाते हैं। इसी वजह से हम अपने स्थानीय व्यंजनों को भूलने लगे हैं। फास्ट और देश के हर एक क्षेत्र में मिलता है फुल स्टाफ में की स्थानीय फूड सिर्फ घर में ही उपलब्ध होता है।
2.) अब गृहिणियों का या कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीच सुखना छीलना और फिर उनसे व्यंजन तैयार करना सचमुच दुः साध्य हैं ऐसा लेखक क्यों कहते हैं?
पहले मौसम और ऋतुओं के अनुसार फलों खाद्य लोक से जो व्यंजन और पकवान बना करते थे उन्हें बनाने की फुर्सत अब कितने लोगों को रह गई है। इस वजह से लेखक कहते है कि कामकाजी महिलाओं के लिए खरबूजे के बीच सुखना चलाना और फिर उनसे व्यंजन तैयार करना सच मुझे दूःसाध्य लगता है।
3.) खानपान की जो एक जो मिश्रित संस्कृति बनी है इसके सकारात्मक पक्ष कौन सा है?
खानपान की जो एक मिश्रित संस्कृति बनी है इसका अपना भी एक सकारात्मक पक्ष है। गृहिणी और कामकाजी महिलाओं को अब जल्दी तैयार हो जाने वाले विविध व्यंजनों की विधियां उपलब्ध है। नहीं पीढ़ी को देश-विदेश के व्यंजनों को जानने का सहयोग मिला है। भले ही किन्हीं कर्म से और किन्हीं खास रूपों में हो लेकिन यह व्यंजन अब जल्दी तैयार हो जाते हैं। इस वजह से कई लोग उनकी तरफ ही आकर्षित होते हैं।
4.) स्थानीय व्यंजनों का पुनउद्धार करने के लिए क्या करना जरूरी है?
हम जो फास्ट फूड खाते हैं उनके साथ-साथ अब हमें स्थानीय व्यंजनों का पुनरुद्धार करना भी जरूरी है। क्योंकि अब हम हमने अगर स्थानीय व्यंजनों की तरफ ध्यान नहीं दिया तो यह व्यंजन नष्ट हो जाएंगे इन व्यंजनों का प्रचार से 5 सितारा होटलों के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए। इसके साथ-साथ हम में भी कभी-कभी घर पर यह व्यंजन बनाने चाहिए अगर यह व्यंजन घर बाजार से गायब हो गए तो हमारा यह दुर्भाग्य होगा। अगर यह पकवान भी बाजार उनसे गायब हो गए तो हमें यह पकवान देखने भी नहीं मिलेंगे।
5.) खानपान के मामले में उत्तर भारत की स्थिति कैसी है?
उत्तर भारत में जो चीज गली मोहल्लों की दुकानों में आम हुआ करती थी उन्हें अब खास दुकानों में तलाश जाता है। यह भी एक कड़वा सच है कि हमने स्थानीय व्यंजनों को हम तथा कथित आधुनिकता के चलते छोड़ दिया है।
प्र.) 2 रिक्त स्थानों की पूर्ति करें।
1.) इडली- डोसा – बड़ा – सांभर – रसम अब केवल ……………… तक सीमित नहीं है।
इडली- डोसा – बड़ा – सांभर – रसम अब केवल दक्षिण भारत तक सीमित नहीं है।
2.) ………… व्यंजन भी तो अब घटकर कुछ ही चीजों तक सीमित रह गए हैं।
स्थानीय व्यंजन भी तो अब घटकर कुछ ही चीजों तक सीमित रह गए हैं।
3.) जानकारी यह भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे . ………. … में अब वह बात कहां रही।
जानकारी यह भी बताते हैं कि मथुरा के पेड़ों और आगरा के पेठे नमकीन में अब वह बात कहां रही।
4.) हम …………… से भी एक दूसरे को जानते हैं।
हम खान-पान से भी एक दूसरे को जानते हैं।
5.) उत्तर भारत में उपलब्ध व्यंजनों की भी ………… हो रही है।
उत्तर भारत में उपलब्ध व्यंजनों की भी दुर्गति हो रही है।
6.) खानपान की जो एक मिश्रित संस्कृति बनी है इसके अपने ……. . ………… पक्ष भी है।
खानपान की जो एक मिश्रित संस्कृति बनी है इसके अपने सकारात्मक पक्ष भी है।
7.) क्योंकि यह भी एक सच्चाई है कि यह विविध व्यंजन इन्हें ……………… रूप में उपलब्ध नहीं है।
क्योंकि यह भी एक सच्चाई है कि यह विविध व्यंजन इन्हें निखालिस रूप में उपलब्ध नहीं है।
पाठ से आगे
प्र.) 1 नीचे कुछ व्यंजनों के नाम दिए हैं वह किस जगह पर प्रसिद्ध है वो लिखे।
1.) सरसों का साग – पंजाब
2.) मिसल पाव – महाराष्ट्र
3.) लिट्टी चोखा – बिहार
4.) दाल बाटी चूरमा – राजस्थान
5.) ढोकला – गुजरात
6.) अप्पम – केरला
7.) मोमोज – सिक्किम
प्र.) 2 दिए गए प्रश्नों का उत्तर लिखो।
1.) अगर आपको किसी प्रदेश का व्यंजन सीखने का मौका मिल जाए तो आप कौन से प्रदेश के व्यंजन सीखेंगे?
अगर हमें किसी प्रदेश के व्यंजन सीखने का मौका मिले तो हम महाराष्ट्र के व्यंजन सीखेंगे। वैसे तो भारत में कई राज्य है और उन अलग-अलग राज्यों का पर्यावरण अलग-अलग है। इस वजह से वहां पर बनने वाले व्यंजनों में भी बहुत अलग पन होता है। सारे पकवान बहुत सुंदर होते हैं। लेकिन अगर हमें किसी प्रदेश के व्यंजन सीखने हैं तो हम महाराष्ट्र की ही व्यंजन सीखेंगे क्योंकि वहां पर बहुत सारे पदार्थ ऐसे हैं जो मशहूर है। जैसे की पूरनपोली, मोदक, पाव भाजी, मिसल पाव। इस वजह से हम महाराष्ट्र के पदार्थ सीखना चाहेंगे।
2.) फास्ट फूड और घर के बनाए व्यंजन इसके फायदे और नुकसान लिखो।
फास्ट फूड –
फास्ट फूड मतलब जल्द से जल्द बनने वाले पदार्थ। यह पदार्थ जल्द से जल्द तो बन जाते हैं कई मिनट में हमारे सामने उपलब्ध भी हो जाते हैं लेकिन यह पदार्थ हमारे लिए हमारे शरीर के लिए अच्छे नहीं होते। हमारे आसपास जो पर्यावरण होता है उसी के अनुसार हम पदार्थ खाना पसंद करते हैं। लेकिन यह पदार्थ जो होते हैं वह हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। इसमें कई ऐसी चीज मिलाई जाती है जिसकी वजह से हमारे शरीर को हानि पहुंचती है। इस वजह से हमें यह पदार्थ खाने नहीं चाहिए। इसमें स्वच्छता का ध्यान भी नहीं रखा जाता।
घर पर बने व्यंजन –
हमारे घर पर जो व्यंजन बने हुए होते हैं उसमें अधिक स्वच्छता होती है। और यह पदार्थ हमारे आसपास जो पर्यावरण होता है जो मौसम बदलते हैं उसे मौसम के अनुसार बनाए जाते हैं। घर में ही बनाने के कारण हम इसकी सुरक्षितता का ध्यान रखते हैं। यह पदार्थ हमारे लिए पोषक होते हैं। हमारे शरीर का हमारे स्वास्थ्य का ध्यान यह पदार्थ रखते हैं।
3.) अलग-अलग जगह पर खान-पान अलग-अलग पद्धति का होता है इसका क्या कारण हो सकता है सोच कर लिखो।
भारत में या फिर अन्य देशों में पर्यावरण हर वक्त अलग-अलग रहता है। हमारे भारत में तो हर वक्त पर्यावरण बदलता रहता है। जिस तरह पर्यावरण बदलता है इस तरह हमें हमारे खान-पान की चीज बदलनी पड़ती है। क्योंकि एक मौसम में जो हम पदार्थ कहते हैं वही पदार्थ दूसरे मौसम में भी हमारे शरीर के लिए लाभदायक हो ऐसा नहीं हो सकता। हर एक मौसम में खाने के लिए अलग-अलग पदार्थ बनाए जाते हैं। वही हमारे स्वास्थ्य के लिए उपयोगी और लाभदायक होते हैं।
4.) आप जहां पर रहते हो वहां पर आपके घर के आस-पास अनेक फास्ट फूड की दुकान होगी। वहां पर स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है या नहीं?
हमारे आसपास जो फास्ट फूड की दुकान है वहां पर हमेशा स्वच्छता का ध्यान रखा जाता है। वह अपनी प्लेट्स अच्छी तरह से धोते हैं। जब खाना तैयार करते हैं उसके ऊपर जाली रखते हैं और खाने को मच्छरों से सुरक्षित करते हैं। इसके साथ-साथ अपने हाथ में भी वह मुझे पहन लेते हैं। हमेशा ही अपना स्वयं पाक घर अच्छे से स्वच्छ करते हैं।
5.) आपके आसपास कौन-कौन से फास्ट फूड के व्यंजन मिलते हैं?
हमारे आसपास पानी पूरी, सेवपुरी, भेल, मैगी, न्यूडल्स, मोमोज, चाइनीज फूड, समोसा, भजिया, दबेली यह सारे व्यंजन मिलते है।
प्र.) 3 नीचे कुछ त्योहार और राज्यों के नाम दिए हैं वह त्यौहार मनाते समय उस राज्य में कौन से व्यंजन बनाए जाते हैं लिखो।
1.) होली –
महाराष्ट्र – पुरनपोली
बिहार – दही बड़े
गुजरात – कांजी बड़ा
2.) दिवाली –
राजस्थान – मावा कचौरी, घेवर
गुजरात – चोराफली
हिमाचल प्रदेश – बबरू
भाषा की बात
प्र.) 1 खानपान – खान और पान ऐसे पांच शब्द लिखो।
1.) भेलपुरी – भेल और पूरी
2.) छोलेभटूरे – छोले और भटूरे
3.) हाथपांव – हाथ और पांव
4.) दहीपराठा – दही और पराठा
5.) मातापिता – माता और पिता
प्र.) 2 दिए गए शब्दों का अर्थ लिखो।
1.) प्रतिभोज – मेजवानी
2.) अचरज – आश्चर्य
3.) एथनिक – स्थानीय
4.) मसलन – अर्थात
5.) निखालिस – पवित्र
6.) दुः साध्य – कठिन