Haryana Board Class 8 History Chapter 5 सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध Solution

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Haryana State Board Class 8 History Chapter 5 सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध Solution:

अध्याय 5:  सत्रहवीं शताब्दी के मुगलों का क्षेत्रीय प्रतिरोध।

 प्रश्न 1रिक्त स्थान भरो।

1.) सवाई राजा जयसिंह ने………….नगर को अपनी राजधानी बनाया।

 उत्तर जयपुर।

 

2.) राजा जसवंत सिंह के पुत्र को ……….दुर्गादास राठौर ने संरक्षण दिया।

उत्तर  अजीत सिंह।

 

3.) जाटों ने ……….के नेतृत्व में 1678 में मुगलों का विरोध किया।

 उत्तर गोकुल।

 

4.) वीरभान द्वारा नारनौल में……………संप्रदाय का प्रचार प्रसार किया गया।

उत्तर  सतनामी।

 

 प्रश्न 2 उचित मिलान करें।

1.सवाई राजा जयसिंह        क) सतनामी संप्रदाय की  स्थापना

2.महाराजा सूरजमल       ख)  स्वामी निष्ठा और वीरता का अनुपम उदाहरण

3.संत वीरभान                  ग) अजेय लोहागढ़ दुर्ग का निर्माता

4.दुर्गादास राठौड़               घ )वेधशाला का निर्माता

उत्तर: 1.  घ    2. ग     3. क    4. ख

 

प्रश्न 3 आओ विचार करें।

1.) राजपूत स्त्रियों के चारित्रिक गुण क्या थे ?

उत्तर : राजपूत महिलाएं सामाजिक एवं घरेलू कार्यों में प्रभावशाली भूमिका निभाने वाली। खेलों में और पति के साथ युद्ध में भागीदारी करने वाली परिवार का संचालन करने वाली स्नेह करने वाली एवं परिवार के लिए समर्पित और बहुत चरित्रवान थी ।

 

2.) राजपूत शासकों की वीरता से मुगल शासक मुगल ही प्रभावित क्यों रहते थे?

उत्तर:  बाहरी आक्रमणकारियों के आरंभ होने के बाद उत्तर और पश्चिम भाग के क्षेत्रों ने इनका डटकर विरोध किया। विभिन्न जातियों के क्षत्रियों ने अपने छत्रिय परंपरा को बढ़ाने के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया। विभिन्न जातियों से बने इस समूह को राजपूत कहने जाने लगा। और राजपूत एक बेहतरीन योद्धा थे इनको बहुत अधिक लोगों का समर्थन था और इन्हीं गुणों के कारण मुगल शासक राजपूत शासकों से प्रभावित रहे।

 

3.) स्थानीय शासकों का रणभूमि के अतिरिक्त विज्ञान जैसे क्षेत्रों में क्या योगदान रहा?

उत्तर: जयपुर का निर्माण कच्छवाह शासक सवाई जयसिंह ने करवाया था।  बंगाली विद्वान विद्याधर भट्टाचार्य ने वास्तु शास्त्र और शिल्पा शास्त्र के नियमों के अनुसार इस नगर की रूपरेखा बनाई थी। सवाई जयसिंह ने पांच खगोलीय वेधशाला का निर्माण करवाया था क्योंकि वह चाहता था कि भारत के लोगों को खगोल विद्या का भी ध्यान हो । इनका वास्तविक नाम  ‘यंत्र- मंत्र’ था परंतु आज जंतर-मंतर के नाम से है जाना जाता है। यह यंत्र जयपुर, दिल्ली, काशी ,मथुरा और उज्जैन में बनवाए गए थे।

 

4.) कृषि और अध्यात्म से जुड़े लोगों कैसे कुशल योद्धा बने?

उत्तर: सनातनी लोग कृषि के कार्य करते थे और अध्यात्म से जुड़े हुए थे । परंतु औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता के वजह से नारनौल क्षेत्र के गांव सनातनी यों ने विद्रोह कर दिया। एक दिन सनातनी किसान और सरकारी प्यादे का झगड़ा होने से उसकी मौत हो गई । जिसके चलते अधिकारियों ने सतना गांव में सेना भेज दी। औरंगजेब के विरुद्ध धर्म युद्ध लड़ने के लिए के लिए गांव के सनातन उठ खड़े हुए हैं। और अपने सर पर कफन बांध कर युद्ध में कूद पड़े और इनके कारण सेना को हार का सामना करना पड़ा और इन सनातनी  लोगो ने अपने कुशल योद्धा होने का परिचय दिया।

 

5.) विशाल व संगठित सेना का मुकाबला करने में गोरिल्ला युद्ध प्रणाली की क्या भूमिका हो सकती है?

उत्तर:  गुरिल्ला युद्ध प्रणाली एक ऐसी प्रणाली थी जिसमें से ना कोई विशेष वस्त्र नहीं पहनती थी । इसे छापामार युद्ध के नाम से भी जाना जाता है। अशुद्ध प्रणाली में सेना पर हमला करके भाग जाती है और थोड़े समय के बाद अचानक फिर से हमला करते हैं और मार कर वापस भाग जाती हैं। प्रणाली में कम सैनिकों के साथ भी युद्ध में जीत प्राप्त कर सकते थे। इसी कारण शिवाजी महाराज और बाकी योद्धाओं ने भी गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का आधार लेकर विशाल और संगठित सेना बनाई थी।

 

6.) जाटों द्वारा मुगलों के प्रतिरोध के क्या कारण थे?

उत्तर:  हिंदुओं पर जजिया का पुनः लगाना ,कृषकों का शोषण करना , तीर्थ यात्रा कर पुनः लगा दिया गया था। 1668 में हिंदुओं के मेले और उत्सव पर रोक लगा दी गई थी । 1665 में सार्वजनिक रूप से दिवाली और होली मनाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था । विभिन्न देशों द्वारा पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार करने पर वह नए मंदिरों का निर्माण पर रोक लगा दी गई थी।  कई मंदिरों को तोड़ा भी गया था। इसी वजह से जाटों द्वारा मुगलों का प्रतिरोध किया प्रतिरोध के बहुत सारे कारण थे।

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Updated: March 18, 2023 — 3:20 pm

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