Haryana Board Class 8 History Chapter 2 सिक्ख गुरु परंपरा Solution

Haryana Board (HBSE) Class 8 History Chapter 2 Solution – सिक्ख गुरु परंपरा. Here in this post we have provided Class 8 History सिक्ख गुरु परंपरा Haryana State Board Solution.  Haryana State Board History Class VIII Students can download this Solution to Solve out Exercise Questions and Answers. Here in below we have provide Important Inside Question answer from this Chapter.

Haryana State Board Class 8 History Chapter 2 सिक्ख गुरु परंपरा Solution:

पाठ 2 सिख गुरु परंपरा।

 प्रश्न 1 रिक्त स्थान भरे।

1.) लंगर व्यवस्था की स्थापना………..ने की थी।

उत्तर गुरु नानक देव

 

2.) मंजी प्रथा की स्थापना गुरु……….ने की थी।

 उत्तर गुरु अमर दास

 

3.) बाल गुरु ……….. को कहा जाता है।

उत्तर गुरु हरकिशन

 

4.) गुरु हरगोविंद को………..किले में कैद किया गया था।

उत्तर ग्वालियर

 

5.) खालसा की स्थापना………… ने की थी।

 उत्तर गुरु गोविंद सिंह

 

 प्रश्न 2.निम्नलिखित का सही मिलान करें।

1.गुरु नानक                 क) मीरी और पीरी

2.गुरु अंगद देव             ख)गोविंद वाल

3.गुरु रामदास                  ग)गुरु ग्रंथ साहिब

4.गुरु अर्जुन देव             घ) ननकाना साहिब

5.गुरु हरगोविंद               च) अमृतसर नगर

 

 प्रश्न 3 आओ विचार करें।

1.) गुरु तेग बहादुर के हिंदू धर्म की रक्षा में योगदान एवं बलिदान पर विचार कीजिए।

उत्तर: गुरु तेग बहादुर गद्दी पर आसीन होने के समय शासक औरंगजेब का दिल्ली पर शासन था। मुगल शासक के आदेश के अनुसार देश भर में सभी हिंदुओं पर अत्याचार किए जा रहे थे। हिंदू मंदिरों को भी तोड़ा जा रहा था। कश्मीरी हिंदू गुरु जी को मिलने आए थे। उन्होंने गुरुजी को बताया कि मुस्लिम शासक हिंदुओं पर अत्याचार कर रहे थे और उनको हिंदू से मुस्लिम बनने के लिए मजबूर कर रहे थे। हिंदू तोड़कर उन पर मश्जिद बनाए जा रहे थे। गुरुजी धर्म के प्रति निष्ठा निष्ठावान थे उन्होंने धर्म पर आए इस खतरे को देखकर इन पंडितों के समर्थन करने का निर्णय लिया। गुरु तेग बहादुर इन लोगों के साथ दिल्ली आए। Es वजह मुगल शासक ने दिल्ली में उन्हें चांदनी चौक पर भाई मती दास, भाई सती दास और भाई दयाला के साथ गुरु तेग बहादुर को भी शहीद कर मुगल शासकों द्वारा सहित कर दिया गया। उनका जहां सर कटा था वह आज ‘गुरुद्वारा शीश गंज’ साहिब है। आज उन्हें ‘हिंद की चादर’ कहा जाता है जो हिंदू धर्म की राज रखने  वाले को कहते हैं।

 

2.) गुरु गोविंद सिंह की मुगलों के विरुद्ध लड़ाई हो एवं उनके परिणाम पर विचार कीजिए।

उत्तर: नादौन एवं गूलर की लड़ाई- नाडोल नामक स्थान पर मुगल सेना व पहाड़ी राजाओं के बीच युद्ध हुआ। क्योंकि पहाड़ी राजाओं ने मुगल सरकार को कर देने से मना किया था । तो  उन्हे दंड देने के लिए मुगलों ने उन पर आक्रमण कर दिया। गोविंद राय ने राजा भीमचंद्र व अन्य राजाओं से मिलकर मुगल सेना को हरा दिया। लेकिन बाद में पहाड़ी राजाओं ने मुगलों से संधि कर ली इस वजह से गोविंद राय को निराशा हुई।

आनंदपुर साहिब का प्रथम युद्ध- 1700 ई. में औरंगजेब के सैनिक दीना बेग और पैंदा खान के साथ युद्ध के लिए पंजाब पहुंचे। परंतु यहां गुरु गोविंद सिंह ने अपने एक ही बाण से पैदा खान का वध कर दिया जिससे मुगल सेना भयभीत होकर मैदान छोड़ भाग खड़ी हुई।

निर्मोही का युद्ध- 1702  ई. में  वजीर खान के नेतृत्व में मुगल सेना ने सिखों पर हमला कर दिया। दूसरी ओर से उनका साथ देने वाले पहाड़ी राजाओं ने भी हमला कर दिया। लेकिन इस युद्ध में अंत में गुरु जी की सेना विजई हुई और वजीर खान अपनी सेना को ले भाग गया।

बसोली का युद्ध :  निर्मोही ईद के बाद गुरु जी अपनी सेना के साथ हिमाचल के बसोली में चले गए। बसोली में मुगल सेना ने हमला किया तो धर्मपाल के विरोधी अजमेर चंद मुगल सेना का साथ दिया। यह युद्ध संधि में समाप्त हुआ उसके बाद गुरुजी एक बार फिर आनंदपुर साहिब में आ गए।

आनंदपुर का दूसरा युद्ध : 2 वर्ष की शांति के बाद 1704 ई. में एक बार फिर मुगल सेना ने आनंदपुर पर हमला कर दिया। इस बार सैयद खान और रिजवान खान के नेतृत्व में सेना ने हमला किया था। और इस बार फिर वह परास्त होकर लौट गए। परंतु इस बात का बदला लेने के लिए औरंगजेब ने फौजदार वजीर खान और जबरदस्त खान को भेजा। 8 महीने किले की घेराबंदी मुगलों ने की और उनकी यह रणनीति काम कर गई ।

चमकौर साहिब का युद्ध: गुरु जी ने आनंदपुर से निकलते ही मुगलों ने अपना सुरक्षित जाने देने का वादा तोड़ दिया और उन्होंने अपनी सेना उनके पीछे भेज दी। गुरु जी और उनके लोग जब चमकौर साहिब पहुंचे तो उनके 40 सिख बचे थे और केवल 40 सिख योद्धा और दूसरी और हजारों मुगल; उस दिन सीखों ने  दिखा दिया कि भारत के सपूत किस मिट्टी के बने हुए हैं पूरे दिन के संघर्ष के बाद केवल 5 सीट ही जीवित बच सके।

खिदराना का युद्ध : गुरु गोविंद सिंह चमकौर साहिब से निकलकर खिदराना की ओर चले गए। वहा पहुंचने तक लगभग दो हजार और सैनिक गुरु जी की सेना में शामिल हो गये। इस युद्ध मे बहुत सारे सैनिक  वीर गति को प्राप्त हुए । खजराना से होते हुए गुरुजी तलवंडी पहुंचे।

 

3.) धर्म की रक्षा एवं साम्राज्य की स्थापना में वीर बंदा सिंह बहादुर के योगदान पर विचार करें।

उत्तर: मुगलों द्वारा गैर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचार रोकने के लिए गुरुजी ने बंदा सिंह कोbनियुक्त किया। गुरु गोविंद सिंह जी ने बंदा सिंह बहादुर को 5 तीर और 25 सिखों के साथ पंजाब के तरफ भेज दिया। उसी समय औरंगजेब की मृत्यु हुई थी और उस वजह से अराजकता उत्पन्न हो गई थी इसी स्थिति का बंदा सिंह ने फायदा उठाया बंदा सिंह बहादुर ने सिखों की बिखरी शक्ति को एकजुट किया। मुगलों द्वारा सताए गए लोगों से यह बंदा सिंह बहादुर ने एक विशाल सेना संगठित की और मुगलों के विरुद्ध संघर्ष शुरू किया। छोटी-छोटी लड़ाईया में जीतने कर उन्होंने घुड़ाम, ठसका ,मुस्तफाबाद को आसानी से जीत लिया। उसके बाद उन्होंने सढोंरा की लड़ाई जीत कर किसान ,मजदूर सबको अत्याचारी फौजदार उस्मान खान से राहत दिलाई। वहां के लोगों ने बंदा सिंह का साथ दिया। और उसके थोड़े से संघर्ष के बाद साडोरा पर  सिखों का  राज नियंत्रण हो गया। उसके बाद पास के गांव कपूरी  1710 में सरहिंद पर चढ़ाई के। चपड चिडी नामक स्थान पर बंदा सिंह बहादुर और सरहिंद का मुगल सूबेदार वजीर खान के बीच भयानक युद्ध हुआ। इस युद्ध में बंदा से बहादुर का विजय हुआ और और सिखों ने सरहिंद  पर अधिकार कर लिया। बंदा सिंह बहादुर ने प्रशासनिक कार्यों के साथ-साथ जमीदारी प्रथा को समाप्त कर किसानों को भूमि का स्वामित्व दे दिया। उसके कुछ सालों बाद सहानपुर से लेकर लाहौर तक के क्षेत्र पर सिंह बहादुर ने अधिकार कर लिया। परंतु 1715 ई. में मुगल सेना ने उन्हें बंदी बना लिया और 1716 ई. को दिल्ली में उन्हें अमानवीय यातनाएं देकर सहित कर दिया गया।

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Updated: March 18, 2023 — 3:15 pm

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